Saturday, August 2, 2014

गजल
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दावत खतम हुई तो अपने घर चले गए।
अच्छे दिनों के साथ हमसफर चले गए।।

ठोकर लगी तो टूट कर बिखर गए तिलस्म।
खुशफहमियों के साथ कई डर चले गए।।