अदृश्य दुनिया ---------------
आंखें बंद कर लेने से
अदृश्य हो जाती है
सामने खड़ी दुनिया
आंखें बंद करके आप नहीं देख सकते
वह सब जो सारी दुनिया देख रही है
मसलन
रात को दिन में बदलने के लिए उगता हुआ सूरज
घर बनाने के लिए तिनके जमा करती हुई चिड़िया
और ठंडे मौसम में चाय की पतीली से उठती हुई भाप
आँखें बंद करके आप नहीं देख सकते
सुबह सुबह तैयार होकर स्कूल जाते हुए बच्चे
अपने घर का काम निबटाकर
बाहर के काम पर जाती फुर्तीली कामवालियां
और रोजी रोटी की तलाश में शहर आने वाले मजदूर
आंखें बंद करके नहीं देखे जा सकते
किसी बेबस की आंखों में भर आए आंसू
किसी परेशान इंसान के माथे पर उभर आया पसीना
और किसी घायल के जख्मों से रिसता हुआ खून
आंखें बंद कर लेने से
जब कुछ भी नहीं दिखेगा
अपने रचे स्वप्नलोक के सिवाय
तो फिर संपादक को
मैं क्या दिखूंगा
और क्या तो दिखेगा मेरा काम।
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