Wednesday, January 12, 2011

बहन का फोन

आज बड़ी बहन का फोन आया। उसने बताया कि शिक्षिका के रूप में नौकरी करते उसे 25 साल हो गए। आज 30 नवंबर के दिन उसने पापाजी के साथ जाकर एक गांव में जॉइन किया था।
धमतरी से 10-20 किलोमीटर दूर एक गांव था। वह वहां किराए का एक कमरा लेकर रहती थी। छुट्टी के दिन वह घर आ जाती थी। उसे लाने ले जाने के लिए हमारे घर पेट्रोल वाली पहली दुपहिया खरीदी गई। यह टीवीएस फिफ्टी थी जिसे ज्यादातर मैं ही चलाता था। मैंने याद किया कि मैं उसे छोडऩे जाता था। उसने कहा कि उसे सब याद है। उसकी इस लंबी यात्रा में सबका योगदान रहा है।
उसने कहा- पापाजी होते तो सबसे पहले उन्हें बताती।
मेरा कद इतना बड़ा नहीं है कि बड़ी बहन मुझे अपनी नौकरी के 25 साल पूरे होने की खबर सुनाए। और यह भी कहे कि पापाजी होते तो उन्हें बताती। मैं घर का बड़ा लडक़ा हूं। एक बड़े लडक़े की जिम्मेदारियां मैं निभा नहीं पाया। उल्टे घर वालों की चिंता का विषय बना रहा। यह बहन की उदारता है कि वह ऐसा कह रही है। उसके पास विकल्प भी तो नहीं है।

(30 नवंबर को लिखा गया)

6 Comments:

At January 13, 2011 at 7:53 AM , Blogger 36solutions said...

कोई अफ़सोस नहीं
बीत गई रात का
मुझको विश्‍वास बहुत
इस नये प्रभात का.


भाई, आपके पिता जी नें कभी ये पंक्तियॉं लिखी थी. आपकी डायरी को पढ़ते हुए मुझे अनायास ये याद आ गई.

 
At January 14, 2011 at 11:14 AM , Blogger nikash said...

sanjeev jee,
aapki baton me apnatva bhara hai. bahut achchha laga.

 
At January 15, 2011 at 5:21 PM , Blogger Rahul Singh said...

रिश्‍तों की बुनियाद.

 
At January 16, 2011 at 6:32 AM , Blogger nikash said...

apka swagat hai sir. mera blog dhanya hua.

 
At January 16, 2011 at 7:45 AM , Blogger nikash said...

This comment has been removed by the author.

 
At January 16, 2011 at 7:45 AM , Blogger nikash said...

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