Sunday, November 21, 2010

दो कवितायेँ

नेतृत्व

000000

तुम्हें हम आगे बढ़ाएंगे
संपादक ने मुझसे कहा
तुम नेतृत्व करना सीखो

नेतृत्व करने का मतलब
अपने साथियों को लगातार डांटना फटकारना
उनके हर काम में गलतियां निकालना
उन्हें यह अहसास दिलाना कि वे कामचोर हैं

नेतृत्व करने का मतलब
यह दहशत फैलाना
कि मेरी बात नहीं मानी
तो नौकरी से निकलवा दूंगा

नेतृत्व करने का मतलब
एक भगदड़ में शामिल हो जाना
जहां कोई किसी को नहीं पहचानता
जो लोग जमीन पर गिर पड़े हैं
उन पर पांव रखकर निकल जाना


मैं आज तक नेतृत्व करना नहीं सीख पाया
मेरी तनख्वाह नहीं बढ़ी
और दीवाली पर मंत्री का आदमी
मेरे नाम का पैकेट लेकर नहीं आया।

0000000




संपादक

मैं तुम्हारे बारे में सब जानता हूं
नए संपादक ने कहा
नेताओं से तुम्हारे अच्छे संपर्क हैं
मैंने सर्वे करवा लिया है
मेरे सूत्रों ने मुझे सब कुछ बता दिया है
हम बस इतना चाहते हैं कि आपके लेखन पर
आपके संबंधों की छाया
न पडऩे पाए

मैं शहर का सबसे घोंचू पत्रकार
शुभचिंतकों ने जिसे फील्ड में बहुत कम जाने दिया
जिसे बीस साल में बीस नेता भी नहीं जानते
जिसने छह महीने से मकान का किराया नहीं दिया
और चार महीने से टेलीफोन का।

लेकिन उसे समझाना बेकार था
सेठ भी संपादकों को समझाता नहीं
हर दो साल में उनका
ट्रांस्फर कर देता है।

000000000000000

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home