Thursday, June 9, 2011

फार्म जमा हो गया --------------

आज दफ्तर में कुछ फार्म भरने थे। इसके लिए साप्ताहिक छुट्टी का पूरा दिन कुरबान हो गया। दो भली लड़कियों ने फार्म स्वीकार किए। एक ने कहा कि आपके दस्तावेजों में एड्रेस प्रूफ नहीं है। मैंने कहा कि कल लाकर दे दूंगा।

फार्म भरने और जमा करने के लिए रात से लोग लगे हुए हैं। पुराने लोग हड़बड़ाए हुए हैं जिन्होंने अपने सर्टिफिकेट संभाल कर रखने पर कभी ध्यान नहीं दिया। सुबह 11 बजे मीटिंग के बाद सब प्रायमरी स्कूल के बच्चों की तरह फार्म भरने में लगे थे। फिर खबरें लाने के लिए रवाना हो गए। एकाध घंटे बाद सब लौटेंगे और खबरें बनाने से पहले फार्म जमा करने में जुट जाएंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि किसके पास कौन सा दस्तावेज है, कौन सा नहीं है। और एचआर वाले उन्हें क्या रास्ता बताते हैं।

धरती पर नर्म दिल लड़कियां भेजने के लिए ऊपर वाले का शुक्रिया। और इस बात के लिए भी शुक्रिया कि उन्हें इसी दफ्तर में भेजा। वरना एचआर वालों के सामने जाने से डर लगता है। उन्होंने तीन महीने तक मेरा बैंक खाता नहीं खुलने दिया था। मेरे राजिम प्रवास का खर्चा भी संपादक के हस्तक्षेप के बाद मिला था। मेरी ईमेल आईडी नहीं बनी है। इसके लिए कौन बोले।

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बचपन और जवानी में बुजुर्गों ने समझाया तो था कि बेटा परीक्षाएं पास करो, सर्टिफिकेट जमा करो और उन्हें संभालकर रखो। अपन ने ध्यान नहीं दिया सो आज भुगत रहे हैं। शिक्षा के कालम में मेट्रिक पास लिखना पड़ता है। पिछले एक संपादक ने बहुत हमदर्दी के साथ सलाह दी थी कि मेट्रिक पास लिखना बोलना अच्छा नहीं लगता, हो सके तो हिंदी साहित्य जैसे किसी विषय में बीए कर लो। पढऩे और सीखने की इच्छा तो बहुत है लेकिन यह हो नहीं पा रहा है। खाली इच्छा से न कंपनी खुश हो सकती है, न मां न पत्नी।

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फार्म भरने से पता चलता है कि पढ़े लिखे समाज में हमारा कद क्या है। हालाँकि डिग्रियां किसी की काबिलीयत की गारंटी नहीं होती लेकिन वह अलग मुद्दा है।

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फार्म जमा करके बड़ा अच्छा लग रहा है। अब एच आर करीब से गुजरे तो सर उठाकर खड़े रहा जा सकता है। जैसे टिकट लेकर यात्रा कर रहे लोग टीटीई के आगे निश्चिंत रहते हैं। सुधीर उपाध्याय ने भी साथ ही फार्म जमा कर दिया है। अब वह पीलूराम जी का फार्म चेक कर रहा है और उन्हें कुछ सलाह दे रहा है।

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