Tuesday, August 23, 2011

गीतकार शहर तुम्हें करता है प्यार

गीतकार शहर तुम्हें
करता है प्यार

फूल खिलखिलाते हैं
कलियाँ सकुचाती हैं
आसमान हँसता है
चिड़िया कुछ गाती हैं

संभव हैं तुमसे ये
सभी चमत्कार

श्रमिक की थकावट हो
वृद्ध की उदासी हो
याचक हो भूखा या
गाय कोई प्यासी हो

तुमने ही शब्द दिए
तुम्ही ने विचार


अर्पण है तुम्हे यह
अकिंचन आभार